रंजना अवस्थी
इंदौर
Student NakshatraSpeaks
दोस्तों साधारण जीवन मे समस्या जब परिलक्षित होती है जरूरी नही कि उसका जन्म तब ही हुआ हो, ज्यादातर समस्याओं का निर्माण बहुत पहले भी विचार स्तर पर भी हो चुका होता है। मानो किसी को कोई गंभीर बीमारी जैसे कैंसर, या डिप्रेशन है तो इनके शारीरिक रूप से जन्म के पूर्व ही बीमारी के अणु-परमाणु शरीर मे या विचारों के सतह पर आ चुके होते हैं। कई बार यह बीमारी हमारी लगातार नकारात्मक भावनायें भी होती हैं जिन्हें हम द्वेष, ईर्ष्या, जैसे रूप में दावत देते आये होते हैं।
अब यदि ज्योतिषीय रूप में बात करें तो कहते हैं न सिर्फ एक जन्म बल्कि कई जन्मों का कार्मिक बहीखाता एक पत्रिका में छिपा होता है। मानो हमको पत्रिका के रूप में कोई कुंजी मिल गयी हो जिसे डिकोड करके हम खुद को, खुद के जीवन की नियति को, परिस्थिति को समझ सकते हों । अब जब कुंजी हमको ईश्वर द्वारा मिल ही जाती है तो बस सब कुछ हम पर निर्भर हो जाता है कि हम कैसे एक सही ज्योतिषी को खोज कर अपनी कुंडली का विश्लेषण समय पर करवा लें। पर यह हमारा ही दुर्भाग्य होता है कि हम जीवन मे सही समय पर कभी भी नही चेतते अर्थात जब सब कुछ जीवन मे व्यवस्थित चल रहा होता है तब अपने जीवन की दिशा को जानने- समझने के लिए हम ज्योतिषी के पास रुख नही करते। यदि सब कुछ बेहतर रहते एक सही ज्योतिषी के पास हम पहुँच जाते हैं तो अवश्य अपना कर्मक्षेत्र, नियति, आने वाली परिस्थिति को भांप कर मुसीबतों को कम या ज्यादा कर सकते हैं। क्यो जीवन मे जब भी बहुत थकहार जाते हैं तब किसी एस्ट्रोलॉजर के पास न जाकर सही समय पर नहीं पहुँचते?
आप भी कुंडली विश्लेषण के लिए किसी समस्या का इन्तज़ार न करें, आज ही सही ज्योतिषी ढूंढे, और कुंडली विश्लेषण करवाएं,। आपको एक ऐसी कुंजी मिली होती है जो आपका मार्ग प्रशस्त कर सकती है, गंतव्य तक चलना पूरा आपके कर्मों पर ही होगा। याद रखें आपको अलादीन का चिराग तो मिला ही है बस अब यह आप पर निर्भर है कि आप उससे सही समय पर मदद ले पाते हैं या नहीं?